भगवाधारी का स्वागत करते हैं मुस्लिम, जानिए कहां की है अनूठी परंपरा

हिंदुत्व के विकसित आंगन में खिलता है सामाजिक समरसता का फूल

गोरखपुर। हिंदुत्व और विकास के अपने सर्व घोषित एजेंडे पर अडिग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्व के मूल में जो सामाजिक समरसता है, वह सबका ध्यान आकर्षित करती है। नाथ सम्प्रदाय की विख्यात गोरक्षपीठ में विजयदशमी की शाम होने वाले सहभोज में उस मुस्लिम समाज की भारी भागीदारी होती है, जिनको योगी के खिलाफ बरगलाने की कोशिश कर कतिपय राजनीतिक पेशेवर अपनी वोट बैंक वाली सियासी रोटी सेंकते हैं।

गोरक्षपीठ की सामाजिक समरसता के अभियान के पीढ़ीगत साक्षी चौधरी कैफुलवरा व उनके परिजन इस पीठ के कर्ता-धर्ता की विजयादशमी शोभायात्रा का जब अपने समूह के साथ स्वागत करते हैं तो योगी के हिंदुत्व को लेकर दुष्प्रचारित कट्टरता बेपर्दा हो जाती है। वास्तव में योगी आदित्यनाथ की गोरक्षपीठ हिंदुत्व का वह विकसित आंगन है जहां सामाजिक समरसता का फूल खिलता है। इसकी महक किसी मजहब, पंथ, जाति या वर्ग में भेद नहीं करती। यहां हिंदुत्व जबरन किसी धार्मिक मान्यता का प्रसार नहीं है बल्कि ऐसी जीवनशैली का पर्याय है जो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के रास्ते पर सर्वे भवन्तु सुखिनः की चाह का नाम है।

गोरखनाथ मंदिर की बसावट को देखें तो पाएंगे कि इस मंदिर के आसपास मुस्लिम समाज के लोग बहुतायत में हैं लेकिन उन्हें तो कभी इस पीठ के सर्वेसर्वा और सम्प्रति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भय नहीं लगा। बल्कि मंदिर से सटे मोहल्लों में मुस्लिम समाज के लोगों की समस्याओं के समाधान की एकमात्र उम्मीद योगी आदित्यनाथ तबसे अनवरत हैं जब आज से 22 साल पहले वे पहली बार सांसद बने थे। सांसद के रूप में नित्यप्रति सुबह दो से तीन घंटे लोगों की समस्या सुनना हो या फिर मुख्यमंत्री के रूप में जनता दरबार, मुस्लिम समाज के लोग जिस उम्मीद से यहां आते हैं, उसका योगी ने सदैव ही ख्याल रखा। गोरखनाथ मंदिर परिसर में कई दुकानें मुस्लिम भाइयों की हैं। यहां के प्रसिद्ध खिचड़ी मेले में भी इस समाज के दुकानदारों की भारी भागीदारी होती है। सभी के साथ समान व्यवहार से वे योगी और गोरक्षपीठ के प्रति कायल रहते हैं।

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