पिछड़े जिलों में मिलेंगी विश्वस्तरीय स्वास्‍थ्य सेवाएं, योजना जानकर हो जाएंगे हैरान

एम्स बना, आरएमआरसी का सेंटर स्‍थापित हुआ, अब मेडिकल कॉलेज बन रहे

लखनऊ। चार साल पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश पर कहर बरपाती इंसेफेलाइटिस महामारी और इतनी बड़ी आबादी ! उस पर इलाज का एकमात्र केंद्र उस समय गोरखपुर का बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज ही था। लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हालात अब पूरी तरह बदल चुके हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं की बेहतरी को लेकर योगी आदित्यनाथ अपने लगातार पांच बार के संसदीय कार्यकाल में लोकसभा में यहां के लोगों की आवाज उठाते रहे। गोरखपुर में 1000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना का श्रेय उन्हीं को जाता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यह बात कह चुके हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद विकास की तमाम परियोजनाओं के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने बेहतर चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने विजन को साकार किया। बीआरडी मेडिकल कॉलेज को सुपर स्पेशियलिटी समेत अन्य अत्याधुनिक संसाधनों से सुदृढ़ किया, तो अन्य जिलों के मरीजों को भागदौड़ से बचाने को जिलों में ही मेडिकल कॉलेज खोले।

चार सालों में तीन नए मेडिकल कॉलेज तैयार, एक निर्माणाधीन तो दो प्रस्तावित

बीते चार सालों में गोरखपुर-बस्ती मंडल में तीन नए मेडिकल कॉलेज बने हैं। एक निर्माणाधीन है, तो दो शेष जिलों में प्रस्तावित हैं। 2017 तक इस क्षेत्र में सिर्फ गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज था। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद बस्ती जिले में 200 करोड़ रुपये  की लागत से मेडिकल कॉलेज सेवा प्रदायी हो चुका है। देश के अति पिछड़े जिलों में शुमार रहे सिद्धार्थनगर में 226 करोड़ रुपए की लागत से और देवरिया में 207 करोड़ की लागत से मेडिकल कॉलेज लगभग बन चुका है। कुशीनगर में 282 करोड़ रुपए की लागत वाले प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य प्रक्रिया में है।

महराजगंज में भी योगी सरकार पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने की बात इस बार के बजट में कह चुकी है। 27 फरवरी को महराजगंज में विकास परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास समारोह में आए मुख्यमंत्री ने जिले में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा भी की।

मेडिकल की पढ़ाई का हब बन जाएगा गोरखपुर-बस्ती मंडल

गोरखपुर-बस्ती मंडल में नए मेडिकल कॉलेजों से बेहतरीन चिकित्सकीय सेवा के साथ यह क्षेत्र मेडिकल की पढ़ाई का भी हब बन जाएगा। 2017 तक इस अंचल में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सिर्फ गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ही 100 सीटें थीं। योगी सरकार में बीआरडी में यह संख्या 150 हो गई है, तो 500 बेड की चिकित्सा सुविधा वाले बस्ती मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 100 सीटों पर पढ़ाई शुरू हो चुकी है।

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देवरिया और सिद्धार्थनगर के मेडिकल कॉलेज भी 100-100 सीटों की मान्यता हासिल कर एमबीबीएस की पढ़ाई को तैयार हैं। कुशीनगर के निर्माणाधीन, महराजगंज और संतकबीरनगर के प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज के अस्तित्व में आते ही इन मेडिकल कॉलेज में भी एमबीबीएस की 100-100 सीटें मिल जाएंगी। भविष्य में गोरखपुर-बस्ती मंडल में मेडिकल कॉलेजों से 750 छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकेंगे।

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